खेला था जिस मिट्टी में,
वो मिट्टी याद आती है,
जिनके संग खेला बचपन में,
आज उनकी याद रुलाती है,
बचपन में जवानी को तरसे,
जब जवानी आई,
बचपन को याद कर नैना बरसेवो नटखट बचपन,
वो अठखेलियाँवो छोटा सा गाँव,
कच्चे घर और पुरानी हवेलियाँआसमाँ में चाँदा मामा,
वो दादी की गोद और पहेलियाँबहुत याद आते हैं,
वो बचपन के दिनवो लम्हें,
वो पल, वो छिन दिनवो लम्हें,
वो पल,
वो छिन .....
मनीष मेहता
वो मिट्टी याद आती है,
जिनके संग खेला बचपन में,
आज उनकी याद रुलाती है,
बचपन में जवानी को तरसे,
जब जवानी आई,
बचपन को याद कर नैना बरसेवो नटखट बचपन,
वो अठखेलियाँवो छोटा सा गाँव,
कच्चे घर और पुरानी हवेलियाँआसमाँ में चाँदा मामा,
वो दादी की गोद और पहेलियाँबहुत याद आते हैं,
वो बचपन के दिनवो लम्हें,
वो पल, वो छिन दिनवो लम्हें,
वो पल,
वो छिन .....
मनीष मेहता