सोमवार, 15 मार्च 2010

कुछ लोग कभी अपने नहीं होते है.....

कुछ लोग कभी अपने नहीं होते है.....


कितने भी सपने देखो उनके.....


पर हर सपने तो सच नहीं होते है ना......!!


तुम कितना भी उसे अपना कहो.....


पर हाँ ये भी तो एक सच है कि............


कुछ लोग अपने हो कर भी,


कभी अपने नहीं होते है.........!!!


ज़रूर सोचियेगा कभी...






तुम्हारा


मनीष मेहता


शनिवार, 6 मार्च 2010

तुम्हारा ख्याल ..!!!

कल रात छत पै बैठा था,
तन्हाँ .......

हाथों में सिगरेट थी
और ख्यालो में तुम......

तुम रोज़ कि तरहा मुझसे
मस्तियाँ कर रही थी ..
में बादतन मुस्कुरा रहा था ..
सिगरेट के छल्लो में,
तुम्हारी तस्वीर बनती नज़र आ रही थी .........
ये सोच के कि,
तुम्हारी शक्ल धुंधली....
ना पड़ जाए
इसलिए जल्दी जल्दी
में सिगरेट की कश ले रहा था....
और सिगरेट के छल्ले बना रहा था..

श्श्स्श होंठ जला बैठा था...
उंगलियो के साथ .......
सिगरेट पूरी जल जो गई थी ..

उफ्फ्फ्फ़
तुम्हारा ख्याल जो अब तक
सिर्फ दिल जलाता था;
अब ना जाने क्या क्या जलाएगा...





तुम्हारा
मनीष मेहता



( चित्र - मनीष मेहता )





सोमवार, 1 मार्च 2010

तुम्हारा ख्याल.........और ये बारिश .....



याद है तुम्हें ...
पिछले बरस का वो मौसम, 
कितना प्यार लेके आया था..
 तुम्हारे और मेरे जीवन में........ 
उस पल को तो यूँ लगा था कि 
शायद ज़िन्दगी यूँ ही गुज़र जायेगी 
हर पल तुम्हरे खयालो में खोये रहना, 
कितना शुकून देता था मुझे.... 
खुद से बातें करना, कभी हँसना तो
अचानक से खामोश सा हो जाना..
 घंटो बारिश में भीगना..
 मीलों, पैदल चलना....फिर अचानक से ठहर जाना ...
 उस बरस का हर दिन हर पल कितना हसीं कितना 
खुशनुमा सा लगता था..

ना जाने क्यूँ...
अबके बरस 
बारिश कि बूंदों के 
पड़ते ही...
घर में छुप जाता हूँ में 
सहमा सहमा सा रहता हूँ....... 
अपने कमरे के झरोखों 
से अक्सर झांकता रहता हूँ 
बाहर.. 
लोगों को भीगते देखता हूँ.....
तो 
तुम्हारा ख्याल ..

 आंसुओं  कि बरसात कर देता है.. 
लगता है...
अबके बरस 
ये बारिश भी
कुछ कम बरसी मेरे घर..  
या मेरे आंसुओं  ने उन्हें 
बरसने ना दिया... 
शायद तुम जो नहीं हो अब के बरस..


उफ्फ्फ्फ़........ 
तुम्हारा ख्याल ....और ये बारिश..... जीने नहीं देता मुझे...!



तुम्हारा
मनीष मेहता

(चित्र- गूगल से)