जब यही जीना है दोस्तों, तो फ़िर मरना क्या है !!
पहली बारिश में ट्रेन लेट होने की फ़िक्र है !
भूल गये भीगते हुए टहलना क्या है !!
सीरियल्स् के किर्दारों का सारा हाल है मालूम !
पर माँ का हाल पूछ्ने की फ़ुर्सत कहाँ है !!
अब रेत पे नंगे पाँव टहलते क्यूं नहीं !
108 हैं चैनल् फ़िर दिल बहलते क्यूं नहीं !!
इन्टरनैट से दुनिया के तो टच में हैं !
लेकिन पडोस में कौन रहता है जानते तक नहीं !!
मोबाइल, लैन्डलाइन सब की भरमार है !
लेकिन जिग्ररी दोस्त तक पहुँचे ऐसे तार कहाँ हैं !!
कब डूबते हुए सुरज को देखा था, याद है !
कब जाना था शाम का गुज़रना क्या है !!
तो दोस्तों शहर की इस दौड़ में दौड़् के करना क्या है !
जब् यही जीना है तो फ़िर मरना क्या है !!!
शहर की इस दौड़ में दौड़ के करना क्या है !
जब यही जीना है दोस्तों, तो फ़िर मरना क्या............
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