ज़िन्दगी से गर ख्वाब/ख्याल निकाल दिए जाए तो रह ही क्या जाता है ख्वाब/ख्याल तकलीफ देते है.. मगर तकलीफ तो हकिकत भी देती है........न ! उफ्फ्फ्फ़ ! तुम्हारा ख्याल जीने नहीं देता मुझे !
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