शुक्रवार, 31 दिसंबर 2010

यादों का सफ़र

'आज सुबहा-सुबहा जब आँख खोली.........आदतन नज़र मोबाइल पै पड़ी..तो कुछ sms  थे आगंतुक वर्ष की बधाइयों के........  फिर अनायास ही  यादों को झरोखो से बीते  हुए लम्हों  को झाँकने लगा.... देखा तो सामने वक़्त का परिंदा दिखा...... यादों की धुंधली चांदर ओड़े हुए........!
 फिर  से कुछ कही कुछ अनकही बातें, कुछ यादें कुछ सौगातें .....किसी का मिलना किसी का बिछड़ना...कभी रोना तो कभी हँसना .....
कभी जितना तो कभी हारना ....... ......याद आने लगी.......!
अचानक फ़ोन की घंटी बजी.....ख्यालों की दुनिया से निकल कर देखा........एक और sms  था.......मेरे अज़ीज़ का ....
ज्यूँ ही आँखों में हाथ लगा के देखा .........हाथों में गीलेपन का अहसास हुआ......
पलके भीग आई थी.....ख्यालों में वो वक़्त था जो  अभी अभी गुज़ारा था मेरी आँखों से............
काश हम फिर उन पलों में ज़ी पाते...!
चलो फिर से आगंतुक वर्ष की खुशियों में खो जाए.....और इस अवसर पै तुम्हें याद न करू....ये केसे हो भला.....क्यूँकि.. 
ज़िन्दगी का कोई भी पल, कोई भी ख़ुशी,
कोई भी अवसर .........  तुम्हें याद किये बिना अधूरा सा लगता है................!'
"शीत ने अपने पांव पसारे
छुए वर्ष ने फिर से किनारे

वर्ष 2010 की समापन घड़ियों में
मेरी ओर से आप सब को
वर्ष 2011 के लिए हार्दिक शुभकामनाएं और मंगलकामनाएं ! "







तुम्हारा

मनीष मेहता

(एक ख्वाब हूँ में.........ख्वाब कभी पुरे नहीं होते...भटकते रहते है अक्सर दर-बदर)


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